Sunday, April 2, 2017

जागता रहूँगा



मैं जागता रहूँगा यूँ ही ..... सुनो तुम सो जाना
मैं ढूंढ लूंगा इक दिन खुद को फिर मुझमे खो जाना

अभी ये वक़्त के इम्तिहान पार करने हैं मुझको
दुनिया में दो और दो चार करने हैं मुझको
बस जब पुकारूँ तुम्हे तुम चले आना...
मैं जागता रहूँगा......

तुम भी मेरे साथ क्यों परेशान  होते हो
ज़माने की चाल पे क्यूँ हैरान होते  हो
मैं सुनाऊंगा हर बार किस्सा बस सुनते जाना
मैं जागता रहूँगा यूँ ही.......

तुम्हे लाया हूँ हाथ थाम कर तो छोडूंगा नहीं कभी
वादे किसी भी दौर के तोडूंगा नहीं कभी
इस टूटी नाव की बस तुम भी पतवार हो जाना
मैं जागता रहूँगा यूँ ही .....



पर तुम भी गर ज़माने के साथ हो लिए
फिर तो हौसले सिफर के सब ख़ाक हो लिए
फिर होगा हासिल फ़क़त खाकसार हो जाना
फिर..... तुम जागती रहना मैं सो जाऊंगा

06 नवम्बर 2016



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