Friday, July 30, 2010

न था कुछ तो खुदा था ......
न होता कुछ तो खुदा होता........
गर नाम ही पहचान है ज़माने में.....
तो काश नाम मेरा वफ़ा होता.......
वो था तकदीर में मेरी शायद.....
वरना क्यूँ हर मोड़ यूँ मिला होता.....
खुदा ने हमसे अब मुह मोड़ लिया है....
जो था दिल में वो ऐसे न जुदा होता......
कभी कभी दिल पूछता है ,के क्या वो भी परेशां है मेरी तरह.....
फिर क्यूँ छिपाते हैं अश्क ,खोलते नहीं दिल की गिरह...
या तो वो थे अनजान या मैं दीवाना था....
ऐ खुदा तू ही बता दे इस गम की वजह.....

Wednesday, July 28, 2010

न था गुमां हमे के क्या होगा तेरे शहर में आके......
वहां हर दिन ईद होती थी यहाँ हर रात फाके ......
एक रोज़ पूछा था पता मस्जिद का......
किसी ने कहा के किससे मिलोगे वहां जाके......
कुछ तो उसकी पलके भी नम हुई होंगी....
गया था जो मुझे एक रोज़ देर तक रुलाके.....
किसी को गुमां नहीं हुआ मेरे गम का......
इस कदर मिला मैं सब से मुस्कुरा के........

Friday, July 16, 2010

न तो दोस्त है न रकीब है ........
तेरा शहर कितना अजीब है .......
आँखों में है रंज हंसी होंठों पर
बड़ी ही अलग यहाँ तहज़ीब है.....