न था कुछ तो खुदा था ......
न होता कुछ तो खुदा होता........
गर नाम ही पहचान है ज़माने में.....
तो काश नाम मेरा वफ़ा होता.......
वो था तकदीर में मेरी शायद.....
वरना क्यूँ हर मोड़ यूँ मिला होता.....
खुदा ने हमसे अब मुह मोड़ लिया है....
जो था दिल में वो ऐसे न जुदा होता......
Friday, July 30, 2010
Wednesday, July 28, 2010
न था गुमां हमे के क्या होगा तेरे शहर में आके......
वहां हर दिन ईद होती थी यहाँ हर रात फाके ......
एक रोज़ पूछा था पता मस्जिद का......
किसी ने कहा के किससे मिलोगे वहां जाके......
कुछ तो उसकी पलके भी नम हुई होंगी....
गया था जो मुझे एक रोज़ देर तक रुलाके.....
किसी को गुमां नहीं हुआ मेरे गम का......
इस कदर मिला मैं सब से मुस्कुरा के........
वहां हर दिन ईद होती थी यहाँ हर रात फाके ......
एक रोज़ पूछा था पता मस्जिद का......
किसी ने कहा के किससे मिलोगे वहां जाके......
कुछ तो उसकी पलके भी नम हुई होंगी....
गया था जो मुझे एक रोज़ देर तक रुलाके.....
किसी को गुमां नहीं हुआ मेरे गम का......
इस कदर मिला मैं सब से मुस्कुरा के........
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