Wednesday, August 18, 2010

बात सुबह की.....

वो कल रात ख्वाब में आये थे.....
फिर मेरे गम मुस्कुराये थे.....
वो पलो में कर गए हरे ,ज़ख्म सारे....
जो बाद अरसे के बस ,ज़रा से मुरझाये थे.......
वो सारे शिकवे गिले कह भी न सके.....
शायद कुछ पलों की ही मुहलत लाये थे.....
वो कर गए हर एक करम का हिसाब....
सितम जिनके हमने हजारों भुलाये थे....
उनकी आँखों में थी रंगत इतनी ........
देख के ,मेरे अश्क भी मुस्कुराये थे......
मेरी पुरनम आँखों ने जो भी कहा .....
शायद वो भी वही सुनने आये थे...
कल रात वो मेरे ख्वाब में आये थे......