Friday, January 8, 2010

कुछ रिश्ते जो उस ऊपर वाले ने नहीं बनाये
उन रिश्तों की अहमियत हमारे लिए कभी कभी इतनी क्यों हो जाती है
के हम उन रिश्तों को भी भूल जाते हैं जो उस खुदा ने हमारे लिए सब कुछ सोच समझ के बनाये है...
और ऐसे ही कुछ रिश्ते जो होते तो हैं पर हम उन्हें कभी ज़माने के सामने ला ही नहीं पाते क्यों ?
जब इंसान उस रिश्ते को दुनिया को नहीं दिखा तो क्यों उनका अस्तित्व होता है
और जब हर इंसान का कोई न कोई रिश्ता उसी के दिल दफ़न है तो क्यों स्वयं को श्रेष्ठ और चरित्रवान दिखाने के लिए बार बार दिल के अरमानो का गला घोंटता रहता है.......


दिल जिस चीज़ को हाँ कहता है ज़हन उसी को कहता है ना
इश्क में उफ़ ये खुद ही से लड़ना एकदम सजा है सीने में.....

Monday, January 4, 2010

एक मासूम सी मोहब्बत मेरे नाम कर दो...
एक सुबह को मिलो मुझसे और उसे शाम कर दो .....
बड़े अरमानो से सेज सजाई है मैंने .....
उन गुलो को देख दिल मेरा गुलफाम कर दो......

Saturday, January 2, 2010

जीने दो....

हमेशा से ही जिंदगी में कोई न कोई बंधन रहा है....
कुछ वक़्त पहले तक माँ बाप के अरमान पूरे करने की लड़ाई दिल और दिमाग के बीच चलती थी
और आज पत्नी और कल शायद बच्चों के लिए जीना होगा ......इन सब के बीच अगर कोई पिसता है
तो वो मैं हूँ हो सकता है के मेरी पत्नी भी यहोई सोचती हो.....
क्या फर्क पड़ता है जब के दोनों हो और दोनों क्या हम सब ही इसी लड़ाई में पिस पिस कर खुद को जीवित दिखाई पड़ते हैं.... एकदम बार मैं सब से और खुद से बस ये ही कहना चाहता हूँ के एक बार मुझे जी लेने दो .........