मैं आज सिर्फ मुहब्बत के गम याद करूंगा
ये और बात है के तेरा नाम आ जाए .....
इस जिंदगी में यूँ तो ,किसी का दखल नहीं
पर देखें मर के ,शायद किसी के काम आ जाएँ....
दुनिया की खातिर तो हर दर्द सह लेंगे वो ....
पर बात हो मेरी तो मुश्किल तमाम आजायें....
मेरी मौत से तो दुनिया में कोई फर्क नहीं
पर डरता हूँ के उन पर ना कोई इलज़ाम आजाए...
Friday, June 25, 2010
Friday, June 11, 2010
कौन सुनेगा किस को सुनाएँ......
हर एक आदमी अपनी पर्सनल प्रोब्लम्स से इतना परेशान है किसी को किसी के लिए वक़्त ही नहीं है और फिर ऐसी कंडीशन में हर कोई अपने आप में बस घुटता रहता है मैं ये नहीं कहता के अकेला ही इस बात से खफा हूँ के कोई मुझे गले लग के रोने की इजाज़त क्यों नहीं दे देता मैं भी चाहता हूँ के आज अपनी उस हर गलती के लिए जो मैंने जाने अनजाने में की है उन्हें माफ़ कर के मुझे ये कह दे के रोले आज जी भर के....पर यहाँ किस के पास वक़्त है .....कौन सुनेगा और किसको सुनाएँ..................
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