Saturday, May 22, 2010

wo ya main.......

एक ही बात बारबार दोहराने से शायद उसकी महत्ता कम हो जाती है फिर चाहे वो कितनी भी सही और उचित क्यों न हो....पर मैं ऐसा सोचता हूँ के कोई क्यूँ एक ही बात बार कहे हमे उसे पहले ही समझ लेना चाहिए के सामनेवाला चाहता क्या है ?और मैं ये सोचता हूँ के अगर मैं कोई बात अपने किसी ख़ास को समझा नहीं पाता तो गलत वो नहीं मैं हूँ और शायद मैं उसे जो मेरी ज़िन्दगी में सबसे ख़ास है उसे ही नहीं समझा पाता और शायद मैं भी उसे नहीं समझ पाता तो फिर फैसला कैसे हो कौन है इसके लिए जिम्मेवार वो...... या.......मैं.................

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