Tuesday, May 7, 2013

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क्या जाने इस दिल ने क्या सहा कितना सहा ....
वज़ूद मेरा अब तलक जाने क्यूँ तनहा रहा .....

तमाम दुनिया को बदलने का हौसला न था  मुझमे .....
मेयार ऐ दुनिया पे फितरतें बदलता रहा ......

खो न जाऊ भीड़ में फ़क़त इसी डर से .....
कभी गिरता रहा कभी संभलता रहा ......


रौशन रहती हैं महफ़िलें हंसी से ठहाकों से
बस खातिर इसी के सिफ़र मुस्कुराता रहा जलता रहा ....

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