dil ka kona
Friday, January 21, 2011
अधूरी थी......
बातें मेरी और तुम्हारी तो अभी अधूरी थी.....
चल दिए बिन बताये ऐसी क्या मजबूरी थी....
वक़्त का था ये फैसला या कोई और बात थी.....
तुम्हारी थी ज़िन्दगी पर औरों के लिए भी ज़रूरी थी.....
1 comment:
hum saya.....
January 24, 2011 at 3:15 AM
thnx a lot.....
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
thnx a lot.....
ReplyDelete